हिंदी सेक्स कहानियों का भंडार

Hindi Viral Sex Story

दोस्त के माँ की प्यास बुझाई – Mom Sex Stroy

dost-ke-maa-ki-piyas-bujhai-mom-sex-stroy


हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम अमन है और मैं 24 साल का बड़ा ही हॉट और सेक्सी लड़का हूं. मेरा गठीला बदन है. मेरे लंड का साइज 4 साल पहले 6 इंच लम्बा और दो इंच मोटा था, मगर मेरी एक आंटी या कहूँ कि मेरे दोस्त की माँ ने मेरे लंड का साइज ही बदल दिया है. आज मेरा लंड नौ इंच लम्बा और तीन इंच मोटा हो चुका है. मेरा लंड भी दिखने में एकदम हॉट और सेक्सी है. ये सब मेरे दोस्त की माँ और मेरी हॉट, सेक्सी रीतू आंटी के कारण हुआ.

आप यही सोच रहे होंगे कि मेरी आंटी के कारण मेरे लंड का साइज कैसे बढ़ सकता है. मगर मैं आपको बता दूं कि मेरी पहली चुदाई मैंने अपने दोस्त की माँ के साथ ही की थी. आज भी जब भी मुझे टाइम मिलता है और वो घर पर अकेली होती हैं, तब मैं उनकी भरपूर चुदाई करता हूं.

सच बताऊं … तो रीतू आंटी बहुत बड़ी चुदक्कड़ हैं. अगर उन्हें किसी का लंड मिल जाए, तो वे उसके लंड का रस पिए बिना उसे अपने हाथों से दूर नहीं जाने देती हैं. रीतू आंटी के जिस्म की कामुकता इतनी ज्यादा है कि कोई भी मर्द उनको एक बार देख ले, तो वो अपना आपा खो दे और उसे अपने ही हाथों से अपने लंड की मुठ मारनी पड़ जाए.

अब मैं आपको उनके फिगर के बारे में बताता हूं. रीतू आंटी की उम्र उस समय करीब 38 साल होगी और उनका फिगर 36-30-38 का था. उनके बहुत बड़े बड़े दूध थे, सेक्सी कमर और बहुत ही मोटी गांड थी … जिसकी चुदाई के लिए आपका भी मन मचल जाएगा. मोनिषा आंटी का बदन एकदम सफ़ेद … जैसे वो दूध में नहाई हुई हों. आंटी के जिस्म पर एक भी दाग नहीं था … ऊपर से नीचे तक एकदम मस्त थीं. उनके निप्पल थोड़े से बड़े … मगर एकदम पिंक कलर के, जिन्हें चूसने में बहुत मजा आता था.

आंटी की नाभि एकदम गहरी, जिसमें आपका खो जाने का मन करे. आंटी अपनी चुत को एकदम साफ रखने वाली थीं. वो हमेशा अपनी चुत की टाइम टाइम पर सफाई करके रखती थीं.

आपको उनकी फैमिली के बारे में बता दूं उनकी फैमिली में पांच लोग हैं. मेरे दोस्त के पापा, उसकी माँ, उसकी दादी, उसकी एक बहन और खुद मेरा दोस्त. दोस्त की दादी उसकी बहन और वो शहर में पढ़ाई करने के लिए रहते हैं. वो घूमने के लिए कभी कभी गांव आ जाता है.

ये बात आज से दो साल पहले की है. वैसे मैंने कभी अपने दोस्त की माँ के बारे में ऐसे विचार नहीं सोचे थे … मगर एक दिन मैं अपने दोस्त के घर गया और मैंने घर पर मेरे दोस्त को आवाज दी.

मगर रीतू आंटी की आवाज बाथरूम से आई- वो यहां नहीं है. बाजार कुछ सामान लेने गया है, वो थोड़ी देर में आ जायेगा.
मैंने कहा- ठीक है.

इतना कह कर मैं चला गया. उस वक्त तक मुझे नहीं पता था कि वो नहाने बाथरूम में गयी थीं.

थोड़ी देर बाद मैं फिर से उनके घर आया और संयोग से ऐसी जगह खड़ा था, जहां से बाथरूम का नजारा साफ दिखाई दे रहा था.

मैं दोस्त को आवाज देने ही वाला था कि इतने में बाथरूम का दरवाजा खुला, मैंने देखा कि मेरे दोस्त की माँ रीतू मेरी आंखों के सामने सिर्फ टॉवेल लपेटे हुए थीं और वो टॉवेल भी बस रीतू आंटी को नाम मात्र ही ढक रहा था. ऊपर से पूरा खुला हुआ बदन, सिर्फ आधे मम्मों को ही ढक पा रहा था और नीचे से भी सिर्फ थोड़ी सी चूत को ही ढक पा रहा था. अगर टॉवेल थोड़ी ऊपर और हो जाती, तो मुझे रीतू आंटी की चूत भी साफ दिखाई दे जाती.

उनकी नजर मुझ पर पड़ी, वो जल्दी से मेरे सामने से भागती हुई गईं और अपने कमरे की तरफ भागीं, मगर ये क्या भागते हुए रास्ते में उनका टॉवेल खुल गया और मेरे सामने रीतू आंटी एकदम नंगी हो गई थीं. वो अपने बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश करती हुई दिख रही थीं.

मुझे जो देखना था, वो मुझे दिख गया था. मैंने आंटी को ऊपर से नीचे तक पूरा नंगी देख लिया था. मैंने अपनी लाइफ में पहली बार किसी औरत को अपनी आंखों के सामने नंगी देखा था. उस समय मेरा लंड एकदम तन गया था.

वो मुझे देखकर जल्दी से हंसती हुई भागीं और अपने कमरे में चली गईं.

करीब बीस मिनट बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आईं. वो इस वक्त एक सेक्सी सी साड़ी पहन कर आई थीं. साड़ी तो उनके बदन लिपटी हुई थी, मगर पता नहीं क्यों अब आंटी मुझे सेक्सी सी दिखने लगी थीं. शायद मैंने उन्हें नंगी देख लिया था इसलिए मुझे ऐसा लगने लगा था.

आंटी ने मुझे हंस कर देखा और अपनी झेंप खत्म करने की कोशिश की. मगर अब मेरी निगाह उनके मम्मों पर ही टिकी हुई थी. आंटी ने शायद मेरी वासना को पढ़ लिया था.

फिर मैंने आंटी से दोस्त के लिए कहा, तो आंटी ने कहा- वो अभी नहीं आया है.

मैं वहां से चुपचाप घर आ गया. घर आ कर मेरा मन बिल्कुल भी शांत नहीं था क्योंकि मैंने उनके जिस्म का वो हिस्सा देख लिया था, जो नहीं देखना चाहिए था. उसके बाद से मेरे दिल में मेरे ही दोस्त की माँ के प्रति गलत भावना बनने लगी.

मैं रीतू आंटी के नाम की दिन में चार से पांच बार मुठ मारने लगा. इतना सेक्सी जिस्म देख कर किस मर्द का लंड खड़ा नहीं होगा.

इसी बीच में आंटी के घर जाता रहा और उनको देखता रहा. उनकी आँखों ने मेरी कामपिपासा को पढ़ लिया था, मगर उन्होंने हर बार हंस कर ही मुझे सिड्यूस किया.

4 दिन बीत गए थे, लेकिन जब भी मैं रीतू आंटी के बारे में सोचता … मेरा लंड एकदम तन जाता और फिर लंड को रीतू आंटी के नाम की मुठ मारके ही शांत करना पड़ता था.

मैंने सोच लिया था कि चाहे जो भी हो, मुझे मोनिषा आंटी की चुदाई करनी ही है.

अगले दिन मैं फिर से उनके घर गया. घर पर कोई नहीं था, अंकल भी खेत गए हुए थे. रीतू आंटी घर पर अकेली ही थीं. मैंने सोच लिया था कि मैं आज रीतू आंटी को चोद कर ही उनके घर से बाहर निकलूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए.

आंटी शायद घर का काम कर रही थीं, तो मैं खुद घर के अन्दर ही चला गया. आंटी ने मुझे देखा और हंस कर पास आने को कहा. मैंने देखा कि वो अपने बेडरूम में बिस्तर ठीक कर रही थीं. मैंने जैसे ही उन्हें देखा, मेरा लंड एकदम तन गया.

मैंने आंटी को पीछे से पकड़ लिया. मैंने सीधे ही उनके दोनों मम्मों अपने हाथ में ले लिए और जोर जोर से उन्हें मसलने लगा.

आंटी की आह निकलने लगी. उन्होंने पीछे मुड़ कर मुझे देखा और एकदम से सकपका गईं. उन्होंने कहा- ये क्या कर रहे हो अमन?
मैंने कहा- कुछ नहीं आंटी … वही कर रहा हूं, जो मुझे बहुत पहले कर लेना चाहिए था.
वो समझ गईं कि मैं क्या करने की बात कर रहा हूं.

उन्होंने कहा- ये सब गलत है अमन … मैं तुम्हारे दोस्त की माँ हूं … और तुम्हारी भी माँ जैसी ही हूं.
मैंने कहा- माँ जैसी हो … माँ तो नहीं हो ना …

बस मैं अपने काम में लग गया. मैंने आंटी के मम्मों को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया और उनकी आहें तेज़ हो गईं. शायद आंटी के दिल में भी मुझसे चुदने की इच्छा थी, पर वो कह नहीं पा रही थीं.

मैंने उनके गले पर भी किस करना शुरू कर दिया. मैंने उन्हें अपनी तरफ घुमाया और उन्हें दीवार की तरफ ले गया. मैंने आंटी को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और मैं आंटी को जोर जोर से किस करने लगा.

उन्होंने मुझे फिर से प्यार से कहा- अमन प्लीज़ ये सब गलत है … ऐसा मत करो.
मगर मैं नहीं माना, मैं मेरे काम में लगा रहा.

मैंने उनके होंठों को फिर से मेरे होंठों के बीच में ले लिया और जोरों से किस करने लगा. उनके मम्मों को बहुत ही जोरो से मसलने लगा. उनकी आहें निकलने को हो रही थीं, मगर मेरे मुँह में ही दबी जा रही थीं. उनकी सांसें तेज़ हो चुकी थीं और मेरी भी सांसें तेज़ होने लगी थीं. मैं लगातार उन्हें किस किए जा रहा था.

वो धीरे धीरे मेरा साथ देने भी लगीं मगर कभी कभी मुझे रोकने का प्रयास भी करती रहीं. मुझे न रुकना था और न मैं रुका. मैं बस अपने काम में लगा रहा.

थोड़ी देर बाद उन्होंने बोलना ही बंद कर दिया और मेरा साथ देने लगीं. अब वो भी मुझे किस करने लगीं. मैं समझ गया कि आंटी भी अब मेरे लंड का स्वाद चखना चाहती हैं.

उन्होंने धीरे से बुदबुदाते हुए कहा- मैं तुमसे कह ही नहीं पा रही थी लेकिन तुमने मेरा मन पढ़ लिया.

यह सुनकर मैंने बिना देर किये अपने एक हाथ को आंटी की चूत के ऊपर पहुंचा दिया और साड़ी के ऊपर से ही मैं उनकी चूत को सहलाने लगा. अपने एक हाथ से उनके मिल्की मम्मों को मसलता रहा.
आंटी की आहें बहुत तेज़ हो गयी थीं और उनकी सांसें भी बहुत तेज़ चलने लगी थीं. वो अब अपने पूरे जोश में आ गयी थीं.

मैंने बिना देर किये धीरे धीरे उनके सारे जिस्म पर किस करना शुरू कर दिया. गले पर, सीने पर और फिर उनके पेट पर किस करने लगा. जैसे ही मैं किस करते हुए उनकी नाभि के पास पहुंचा और जैसे ही मैंने उनकी नाभि पर किस किया, वो सिहर उठीं. उनकी इस सीत्कार से मेरे अन्दर एक ऊर्जा सी दौड़ गयी.

मैंने अपनी जीभ से उनकी नाभि को खूब चूमा. मैं ये बार बार करने लगा. हर बार आंटी आहें लेतीं, जिससे मुझे बहुत मजा आता.

उनकी मस्त आहें सुन कर मेरे लंड का हाल भी बहुत बुरा हो चुका था. वो एकदम तन कर फटने की कगार पर पहुंच चुका था.

तभी आंटी ने मेरे लंड को मेरी पैंट के ऊपर से ही पकड़ा और कहा- ओ माय गॉड … तुम्हारा लंड इतना मोटा और इतना लम्बा है. मुझे मालूम ही नहीं था कि ये इतना बड़ा भी हो सकता है.
मैंने कहा- हां आंटी …
आंटी ने कहा- इतना लम्बा और मोटा लंड तो तुम्हारे अंकल का भी नहीं है.
मैंने कहा- आंटी, हर किसी के पास ऐसा लंड नहीं होता, ऐसा बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है.
आंटी ने कहा- कैसी मेहनत?
मैंने कहा- आंटी अब आप अनजान बनने की कोशिश मत करो, आप जैसी हॉट सेक्सी औरत के नाम की मुठ मारने के बाद ही लंड इतना बड़ा हो सकता है … ये बात तो आप भी जानती हैं.
आंटी ने हंसते हुए कहा- अब तक तुमने कितनी बार मुठ मारी है?
मैंने कहा- आंटी, पिछले पांच दिन में आपके नाम की करीब 30 बार मुठ मार चुका हूं.

मेरे इतना बोलते ही आंटी ने मेरे होंठों पर किस कर दिया. ये पहली बार था कि आंटी ने खुद आगे रहकर मुझे किस किया था.

किस करने के थोड़ी देर बाद आंटी ने कहा- ओह अमन, क्या सच में तुम मुझे इतना चाहते हो?
मैंने कहा- हां आंटी, मैंने जब से आपके नंगे जिस्म को देखा है … मेरे लंड को चैन नहीं मिल रहा है. मुझे बार बार आपके नाम की मुठ मारनी पड़ती है.
आंटी ने कहा- ठीक है … आज के बाद तुम्हें मुठ नहीं मारनी पड़ेगी.

मैंने इतना सुनते ही आंटी की साड़ी उतार दी और उनका ब्लाउज़ और पेटीकोट भी उतार दिया. आंटी मेरे सामने ब्रा और पेंटी में थीं. क्या गजब लग रही थीं.

मैंने उन्हें धक्का दे कर बिस्तर पर लेटा दिया और मैं उनके ऊपर चढ़ गया. मैं उन्हें जोर जोर से किस करने लगा. अब तो आंटी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं. वो मेरे सर को सहलाने लगीं.
मुझे लग रहा था कि जैसे आंटी मेरा सर सहलाकर वो मुझसे बोल रही हों कि अमन आज अपनी आंटी की भरपूर चुदाई कर दो.

अब आंटी मेरा साथ देने लगी थीं. मुझे बहुत मजा आने लगा. मैं अपनी सारी भड़ास आंटी पर निकलना चाहता था, तो मैंने वैसा ही किया.

मैंने आंटी के मुँह की जबरदस्त चुदाई करने की सोची. मैंने अपना लंड आंटी के मुँह में लंड दे दिया. आंटी ने मेरा लंड बड़ी शिद्दत से चूसना शुरू कर दिया.

मैं मस्ती से लंड को आंटी के गले गले तक पेलने लगा. मैं उनके मुँह की खूब चुदाई करने लगा.

यह पहली बार था कि मैं किसी औरत के मुँह को चोद रहा था. मैंने भी आंटी के सर को पकड़ा और जोर जोर से उनके मुँह में अपना लंड डाल कर चोदने लगा. मुझे बहुत मजा आ रहा था और आंटी भी मुँह चुदाई के मजे ले रही थीं.

कोई दस मिनट बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया. मैंने अपने लंड का रस आंटी के मुँह में ही छोड़ा था. उनका पूरा मुँह मेरे लंड के रस से भर गया था और कुछ नीचे भी गिर गया था. बाकी का सारा रस आंटी पी गयी थीं. वो लंड का रस ऐसे चूस रही थीं कि जन्मों की प्यासी हों, उन्हें ये रस कभी मिला ही न हो.

लंडरस पीने के बाद मैंने बैठी हुई आंटी को बेड पर धक्का मारा और उनके सारे कपड़े उतार कर उनको नंगी कर दिया.

आंटी नंगी हो चुकी थीं और बिस्तर पर चित लेटी थीं. मैं उनकी चूत को अपनी जीभ से सहलाते हुए चूसने लगा. आंटी पागल हो गईं और मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ दबाने लगीं.

आंटी बोलने लगीं- अमन चूस लो मेरी चूत को … पी जाओ इसका रस और मेरी चूत की आग को शांत कर दो.
मैं भी पहली बार ही किसी की चूत चूस रहा था, तो मैं भी मजे से चूसता रहा.

आंटी की चूत को दस मिनट के भीतर ही मोनिषा आंटी जोर जोर से आहें लेने लगीं. वे बोलने लगीं- आह नवीन और जोर से चूसो और जोर से चूसो मेरी चूत को. मैं और भी जोश में आ गया और जोर जोर से आंटी की चूत को चूसने लगा.

थोड़ी ही देर में आंटी की चूत ने अपना रस छोड़ दिया और वो सारा रस मेरे मुँह में आ गया. मोनिषा आंटी ने लंबी सांस लेते हुए कहा- बहुत दिनों बाद किसी ने मेरी चूत को चूसा है.

अब उन्होंने मुझे धक्का दिया और मेरे ऊपर आकर मुझसे कहने लगीं- अब मेरी चूत की चुदाई की बारी है … मुझे लंड खड़ा करने दो.

आंटी ये कह कर मेरे लंड को फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.

आह … क्या लंड चुसाई थी. दो मिनट में ही मेरा लंड पूरी तरह से एक कड़क हो गया.

आंटी ने कहा- अमन मेरी चूत में जल्दी से अपने इस मूसल लंड को उतार दो … मैं चाहती हूं कि तुम्हारा लंड मेरी चूत की गहराई को नापे.
मैंने भी आंटी के दूध दबाते हुए कहा- क्यों नहीं आंटी … अभी लो.

मैं आंटी के ऊपर चढ़ कर अपने लंड को उनकी चूत के ऊपर रख कर उनकी चूत में डालने लगा. बहुत दिन से चुदाई न होने के कारण आंटी की चूत का छेद सिकुड़ गया था. इसलिए मेरे लंड को उनकी चूत में जाने में दिक्कत हो रही थी. लेकिन मैं भी कहां मानने वाला था. मैंने भी लंड को आंटी की चूत में उतार ही दिया.

आंटी की चीख निकली- उम्म्ह … अहह … हय … ओह …
दर्द मुझे भी हुआ क्योंकि मैंने भी पहली ही किसी की चूत में अपने लंड डाला था. हम दोनों ही दर्द से कराह उठे लेकिन जब मेरा लंड आंटी की चूत की गहराई में पहुंचा तो मुझे और आंटी को आनन्द आने लगा. हम दोनों ने पहले धीरे धीरे शुरूआत की.

थोड़ी देर बाद आंटी मुझे उकसाने लगीं. आंटी कहने लगीं- अमन और जोर जोर से चोदो … न जाने कितने दिनों बाद मुझे ऐसा सुख मिल रहा है.
मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और आंटी जोर जोर से चीखने लगीं- आह आह आह और जोर से और जोर से चोदो अमन अपनी आंटी को आज मस्त कर दो.

मैंने और स्पीड बढ़ा दी. थोड़ी देर में ही आंटी चीखते हुए ढीली पड़ गईं. उनकी चूत रस छोड़ चुकी थी … मगर मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था. मैंने भी अपनी स्पीड और तेज़ करते हुए अपने लंड का रस आंटी की चूत में ही छोड़ दिया.

जैसे ही मेरे लंड का रस निकला, आंटी भी शांत हो गईं.

झड़ने के बाद उनके मुँह पर हल्की सी मुस्कान थी, जैसे वो बोल रही हों कि बहुत दिन बाद चुदाई करके उनको संतुष्टि मिल गयी हो. मगर मेरा मन एक बार की चुदाई से कहां मानने वाला था. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

मैंने आंटी को कहा- एक बार और आप की चुदाई करनी है.

ये बोल कर मैं आंटी के ऊपर चढ़ गया और फिर से आंटी की चुदाई करने लगा. कोई 20 मिनट आंटी की खूब चुदाई करने के बाद आंटी की चूत ने दो बार रस छोड़ा, मैंने भी अपने लंड का रस आंटी की चूत में ही छोड़ दिया.

हम दोनों नंगे एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे और बातें करते रहे.
फिर कुछ देर बाद आंटी ने मेरे लंड को खूब चूसना शुरू किया और करीब 15 मिनट लंड चूसने के बाद मेरे लंड का रस एक बार फिर निकल गया. इस बार आंटी ने अपने मुँह में ही मेरे लंड का रस निकाल लिया. वो सारा का सारा रस पी गईं.

लंड रस पीने के बाद आंटी और भी नशीली लगने लगी थीं.

मैंने आंटी से कहा- अब तो मुझे रोज ही आपकी जरूरत लगेगी.
आंटी ने कहा- हां अमन, मुझे भी तुम्हारी जरूरत रहेगी.
मैंने कहा- आंटी, मैं तो आपके लिए हमेशा तैयार हूं.

उसके बाद मैंने हर रोज आंटी को 5 महीनों तक खूब चोदा और उनकी जवानी में फिर से बहार ले आया. अब आंटी और भी ज्यादा हॉट और सेक्सी हो गयी थी. मेरे मुहल्ले के बहुत से लड़के आंटी के नाम की मुठ भी मारने लगे थे.

सभी यही बोलते थे कि आंटी को जवानी अब चढ़ रही है.

इसके बाद क्या हुआ ये मैं आपको अगली हिंदी सेक्स स्टोरी में बताऊंगा. कैसे मैंने अपने दोस्त के साथ मिल कर आंटी के मजे लिए.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Categories

Scroll to Top