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खेत में प्यासी भाभी की प्यास बुझाई – Sex Story

दोस्तो, मेरा नाम राहुल है।
मैं राजस्थान के जोधपुर जिले के बलाती गांव में रहता हूं।
मेरी उम्र 20 साल है और मेरे लन्ड का साइज 8 इंच है।

लॉकडाउन में मैं खूब पोर्न देखता था और दिन में 2 से 3 बार मुठ मार लेता था।

मुझे पोर्न देखने की लत लग चुकी थी जो आज भी कायम है।
इसी लत के कारण मैंने इतना लंड हिलाया है कि हिला-हिलाकर इसे लम्बा-तगड़ा मूसल बना डाला है।
मुठ ज्यादा मारने के कारण मुझे लगता है कि मेरा लंड इतना लम्बा-मोटा हो गया है।

खैर, चलिए अब कहानी शुरू करते हैं।

तो उस दिन मैं अपने घर में बैठा मोबाइल में गेम खेल रहा था।

मेरे पापा ने कहा- जाओ खेत में से चरी (घास) काट लाओ, भैंस को खिलाना है।
मैंने कहा- अभी धूप है, बाद में जाऊंगा।

इस पर पापा ने मुझसे कहा- चुपचाप चला जा, दिन रात सिर्फ मोबाइल में लगा रहता है, जा जल्दी जा!

तो मैंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप साइकल लेकर खेत की तरफ निकल गया।

मुझे क्या पता था कि खेत में एक चूत मेरा इंतज़ार कर रही है।

खेत मेरे घर से 2 किलोमीटर दूर पड़ता है।

मैं खेत में पहुंचा और साइकल खड़ी कर दी।

अंदर जाकर मैं घास काटने लगा।
तभी मुझे अहसास हुआ कि कोई मेरे अरहर के खेत में घुसा हुआ है।
अरहर के पेड़ हिलते दिखाई दे रहे थे जिससे मेरा शक गहराने लगा।

मैं उठकर खेत में जाने लगा।

धीरे-धीरे मैं अरहर के पेड़ों को हटाता हुआ अंदर खेत में घुसा चला जा रहा था।
सामने अभी तक कुछ दिखाई नहीं दिया था।

थोड़ा और अंदर पहुंचा तो सामने थोड़ी खुली जगह थी जो खेतों के बीचोंबीच थी।

वहां का नजारा देखकर लंड में एकदम से वासना का झटका सा लगा।
सामने एक औरत साड़ी उठाकर टांगें खोले बैठी थी और चूत में लगातार उंगली से सहलाते हुए आह … सी … आह … सी … कर रही थी।

मैं तो सन्न रह गया … मैं वहां से बिल्कुल नहीं हिला ताकि उसे थोड़ी सी भी मेरे वहां होने की भनक न लगे।
चुपचाप छिपा हुआ सामने के नजारे को देखने लगा।

उस देसी भाभी का फिगर किसी पोर्न स्टार से कम नहीं लग रहा था।
पल्लू चूचियों से हट गया था और चूचे एकदम से ब्लाउज में तने हुए थे।
ऐसी तनी हुई चूचियां देखकर मैं तो वासना में बहने लगा।

उसकी चूत एकदम रसीली थी जिसमें वो तेजी से उंगली चलाए जा रही थी।
कसम से मैं बता नहीं सकता कि उस वक्त मुझे कितना मज़ा आ रहा था।

मैं 2 मिनट तक उसे देखता रहा फिर मुझमें थोड़ी हिम्मत आई।

धीरे से बिना आवाज किए मैं दूसरी तरफ से जाकर भाभी के पीछे की तरफ जा पहुंचा।

अब तक भाभी ने अपना ब्लाउज खोल स्तन भी नंगे कर लिए थे।
वह एक हाथ से चूत को सहला रही थी और एक हाथ से स्तनों को मसल रही थी।

धीरे-धीरे मेरे कदम उस चुदासी भाभी की तरफ बढ़ रहे थे।

खेत में सूखे पड़े पत्तों की हल्की आवाज भी हो रही थी जिससे मुझे डर भी लग रहा था कि बनने से पहले ही काम बिगड़ न जाए।
लेकिन वह अभी भी आह … अम्म … सीसी … करके अपनी चूत को सहलाने का मजा ले रही थी।

मैं जाते-जाते भाभी के काफी करीब पहुंच गया।
मेरे और भाभी के बीच केवल दो कदम की ही दूरी रह गई थी।

वह अपनी चूत की आग में इतनी खोई हुई थी कि मेरी आहट सुन नहीं पा रही थी।

मैंने पीछे से जाकर एकदम उसकी चूचियों को दबोच लिया।

भाभी को मैंने कस कर भींच रखा था और चूचियां हाथों से दबा रहा था।
वह एकदम से उछली और पकड़ छुड़ाकर खड़ी हो गई, बोली- कौन हो तुम?

मैंने बिना डरे, हिम्मत करके कहा- मैं वो हूं जिसकी आपको इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत है!
पैंट में अपना तना हुआ लंड सहलाते हुए मैंने कहा.

भाभी ने पैंट में मेरे लंड का तंबू देख लिया और मुस्करा दी।
बोली- छोटे बच्चे हो अभी तो तुम बबुआ! इस मुनिया की आग तुमसे न बुझेगी। क्या ही मजा दे सकोगे तुम!

मैं बोला- बिना आजमाए ही इतरा रही हो भाभी? एक बार करके तो देखो, मजा न आए तो कहना!
लेकिन वो राजी नहीं हुई।

मैं इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था।
भाभी की चुदाई मुझे हर हालत में करनी ही थी।
उसकी सांवली, रसीली चूत में लंड पेले बिना अब चैन नहीं मिलने वाला था।

मैंने बिना देर किए पैंट खोलकर अंडरवियर समेत नीचे कर दी, और लंड निकाल कर खड़ा हो गया।

वो लंड को देखकर चौंक गई!
बोली- अरे बबुआ, बड़े ही छुपे रुस्तम हो, इतना बड़ा लौड़ा! लंड तो असली है एकदम, मेरे पति का तो आधा भी नहीं है इसका।

मैं बोला- तो फिर हो जाए भाभी एक बार?
उसने मुस्कराते हुए हां में मुंडी हिला दी।

मैं भी बिना एक पल की देरी किए उस पर टूट पड़ा।
उसे वहीं बिछे कपड़े पर गिराकर दबोच लिया।

पोर्न देख देखकर मैं चुदाई का बहुत ज्यादा आदी हो चुका था।
मुझे सबकुछ करना आता था।
हर किस्म की चूत को चोद सकता था मैं!

मैंने भाभी को नीचे लिटाकर पहले उसकी दोनों चूचियों के बीच में लंड फंसा दिया।
वह भी दोनों हाथों से चूचियों को पास लाकर भींचते हुए चूची चुदाई करवाने लगी।

मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना अच्छा लग रहा था।

दोस्तो, उस वक्त मैं जन्नत की सैर कर रहा था।
कुछ देर तक स्तन मैथुन करने के बाद मैंने लंड हटाया और उसके ऊपर लेटकर उसके होंठों को पीने लगा।
वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी।

बीच-बीच में मैं उसके होंठों को आइक्रीम की तरह चाट भी रहा था।
होंठ पूरे गीले और रसीले हो चुके थे।

मैं उसके मुंह में जीभ दे रहा था, और वह भी मेरी जीभ को ऐसे चूस रही थी जैसे लौड़ा चूस रही हो।

कभी-कभी मैं उसकी चूत में उंगली भी कर रहा था।
हर बार उंगली जब अंदर जाती तो उसकी जांघें अपने आप खुल जातीं, और मैं उंगली पूरी अंदर तक घुसेड़ कर कुरेद देता।

वह चुदास में अब पागल सी हुई जा रही थी।

फिर दो-चार मिनट में ही परेशान होकर बोली- बस अब चोद दे हरामी, मर जाऊंगी … चोद दे ये चूत … आह्ह … लंड घुसाई देओ बबुआ!
लेकिन मैं भाभी की चुदास का पूरा मजा लेना चाहता था।

मैंने भाभी की चूत पर लंड तो लगाया लेकिन अंदर घुसाए बिना ऊपर ही रगड़ने लगा; उसकी चूत की फांकों को लंड के टोपे से खोलकर-खोलकर छेड़ने लगा।

इससे वह और ज्यादा पगला गई।
वह बोली- चोद दे मादरचोद … बहन के लौड़े … घुसा दे लंड मेरी चूत में … क्यों तड़पा रहा है!

जब भाभी चुदास में एकदम रोने को हो गई तब मुझे उस पर थोड़ा तरस आया।
मैंने लंड को चूत के छेद पर सेट कर दिया।

चूत पहले से ही पूरी गीली हुई पड़ी थी, रस रह रहकर बाहर आ रहा था।

अब मैं भी उस चूत को चोदे बिना नहीं रह सकता था।
मैंने लंड एक झटके के साथ अंदर सरका दिया जिससे भाभी की आह निकल गई।
उसके साथ ही मेरे मुंह से भी आनंद भरी आह … निकली।

आह्ह … क्या गर्म चूत थी उस चुदक्कड़ भाभी की!
एकदम भट्टी की तरह तप रही थी।

ऊपर से पानी इतना छोड़ रही थी कि लंड को कसम से मजा आ गया।

लंड अंदर जाते ही भाभी के चेहरे पर एक संतुष्टि का भाव तैर गया और वह दर्द के साथ ही हल्की सी मुस्करा भी दी।
मैंने एक और झटका दिया और आधे से ज्यादा लंड भाभी की चूत में उतर गया।

इसी के साथ उसकी एक और आह्ह … निकली।
मैंने चूची भींचते हुए तीसरा झटका मारा और पूरा का पूरा लंड जड़ तक भाभी की चूत में उतार दिया।

भाभी को दर्द भी हुआ लेकिन मजा भी मिल गया।
वह बोली- ओह्ह … मिल गया … आह्ह … लंड के बिना चूत कितनी अधूरी है … आह्ह चोद मेरे राजा … चोद अपनी रंडी को … आह्ह। क्या मजा है लंड लेने में … आह्ह … स्स्स … चोद अब रुक मत!

मुझे भी चूत में लंड देकर जन्नत का अहसास मिल रहा था जिसे और ज्यादा बढ़ाने के लिए मैंने चूत में लंड चलाना शुरू कर दिया।
मैंने लंड डाले हुए अपनी स्पीड अब तेज कर दी।

कुछ ही पल बाद मैं भाभी को ऐसे चोद रहा था जैसे पोर्न स्टार चुदाई करता है।
चुदाई में अब मैं भी पूरा मग्न हो चुका था।

उस वक्त का नजारा ऐसा था जैसे भाभी की चूत में सिलाई मशीन की सूई की तरह लौड़ा अंदर-बाहर हो रहा हो।

सिलाई मशीन भले ही कपड़ा सिलाई करती हो लेकिन मेरा लौड़ा भाभी की चूत की बखिया उधेड़ रहा था, और भाभी को इसमें भरपूर मजा मिल रहा था।

भाभी की चूत चुदाई अब पूरे चर्म पर थी।
उसकी सिसकारियां अब और तेज हो गई थीं- आह्ह … चोदो … आह्ह … और जोर से … आह्ह और चोदो … ऊईई … आह्ह मेरी चूत … हाए … मेरे राजा … मेरी चूत … आह्ह!

देसी भाभी की चूत में लौड़ा पेलते हुए मैं उसकी चूचियां पीने लगा।

वह भी मेरे सिर को पकड़ कर चूचियों दबा रही थी।
उसने मेरे चूतड़ों को अपने पैरों से जकड़ लिया था जिससे मुझे झटके लगाने में भी थोड़ी परेशानी हो रही थी।

चूत मारते हुए 15 मिनट गुजर गए और अब मेरा लावा फूटने के करीब आने वाला था।
फिर मैंने स्पीड और भी तेज कर दी।

अब भाभी की चूत में लौड़ा हथौड़े का काम करने लगा।
चूत को अंदर तक ठोकते हुए लौड़ा गहराई तक चोट करके आ रहा था।

भाभी की चूत अब चरमराने लगी थी।
सुनसान खेत में जोर जोर से पट-पट … फट-फट … की आवाज हो रही थी।

एक तरफ मन में हल्का डर भी था कि कहीं किसी को चुदाई की आवाज न सुन जाए।
लेकिन उस वक्त चूत चोदने का आनंद इतना था कि हर खतरा उठाने को तैयार था मैं!

पट-पट … पट-पट … पट-पट की जोर की आवाजें हो रही थीं, और उसी के साथ भाभी की आह्ह आईई … अम्म आह … हए … की सिसकारियां भी मिल गई थीं।
बस 2 मिनट बाद ही मुझे लगने लगा कि अब और नहीं रुक पाऊंगा।

मैं बोला- कहां गिराऊं भाभी … जल्दी बता … छूटने वाला है।
भाभी- आह्ह … चू .. चू … चूचियों पर निकाल दे … आह्ह!
मेरे लिए इस वक्त लंड को चूत से बाहर निकालना बहुत मुश्किल था लेकिन निकालना ही पड़ा।

बाहर आते ही मेरे लंड ने जोर की पिचकारी भाभी की चूचियों में मारनी शुरू कर दी।
झटके देते हुए मैं भाभी की चूचियों में खाली होता चला गया।
फिर एक मिनट के अंदर पूरी तरह से शांत हो गया।

मेरे लंड ने भाभी की ऐसी चूत-पिटाई कर दी थी कि वह इस दौरान 2 बार पानी फेंक चुकी थी।

चुदाई से भाभी और मेरा बदन पूरा पसीने से लथपथ हो चुका था।
हम दोनों ही हांफ रहे थे।

उसकी जांघें चूत रस में पूरी सन चुकी थीं।
मेरे लंड का भी ऐसा ही हाल था … ऊपर से नीचे तक रस में सना हुआ।

मैं बोला- अब आप क्या करोगे?
वो बोली- साले जानवर की तरह मेरी चूत चोद डाली, अब मुझे ‘आप’ कह रहा है!

मैं बोला- तो बता ‘रंडी’ अब क्या करें?
वो फिर उठकर मेरे पास आई और मेरे रस से सने लंड को चाटने लगी।
मैं एक बार फिर से स्वर्ग में पहुंच गया।

भाभी बड़े प्यार से मेरे पूरे लंड को चाट रही थी, ऊपर से नीचे जीभ फिरा रही थी, और नीचे से ऊपर जाते हुए होंठों से भींच भी रही थी।
लंड को ऐसा दुलार करने वाले होंठ इससे पहले नहीं मिले थे।

भाभी की गांड चुदाई करने का मन भी कर गया था मेरा तो!

मैं बोला- भाभी गांड दे दो ना … बहुत मन कर रहा है!
उसने मेरा लंड छोड़कर धक्का देकर मुझे एक तरफ हटाते हुए कहा- धत्त … हरामी … चूत का कबाड़ा कर दिया, अब तुझे पीछे का छेद भी चाहिए … जाने दे मुझे!

मैंने भाभी को फिर से बांहों में भर लिया।
उसकी गांड भींचते हुए होंठों को चूमने लगा, और बोला- दे दो ना भाभी गांड!
वो बोली- नहीं, जाने दे मुझे, कोई आ जाएगा। जल्दी हट परे … साड़ी ठीक कर लूं।

भाभी ने जल्दी से अपना ब्लाउज बंद किया।
फिर उसने कच्छी पहन कर साड़ी भी ठीक कर ली।
पल्लू को अच्छे से ओढ़कर वो जल्दी से खेत से बाहर निकलने लगी।

मैंने एकदम से कहा- नाम तो बताती जाओ भाभी!
वो बोली- शालिनी!
इतना कहकर वो कातिलाना मुस्कान के साथ खेत से बाहर निकल गई।

मैं भी पीछे-पीछे बाहर निकला … देखा तो भाभी टांगें चौड़ी किए जा रही थी जैसे कई लौड़ों से चूत चुदवाकर आई हो।
मेरे लंड में अभी भी भाभी की चुदाई के लिए एक कसक सी रह गई थी।

तो दोस्तो, इस तरह से मैंने खेत में चुदासी भाभी की चूत मारी।
भाभी की चुदाई में मुझे तो बहुत मजा आया।

लेकिन आपको मेरी सेक्स स्टोरी पढ़कर कितना मजा आया, मुझे जरूर लिख भेजें।

आपकी प्रतिक्रियाएं बहुत मायने रखती हैं।
आप मुझे कहानी के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में अपनी राय लिखकर भेज सकते हैं

तब तक मुठ मारते रहिए, चूत चोदते रहिए।
जल्द ही अगली कहानी में मुलाकात होगी।

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